

आप कभी हाईवे से गए है, जो दिन में तो गड़ियों से खचा-खच भरा हुआ और रात में बिल्कुल नीरव और सुनसान एक अलग- सा खौफ लिए होता है। शहर से सुदूरतम लगभग सभी हाईवे ऐसे ही हैं।जहां दिन में भी हाईवे पर हादसे होते रहते है और कई सारे लोग ऑन-द -स्पॉट मर जाते हैं। इस तरह हर सूरज की लालिमा के साथ शुरु होती है। एक डर की कहानी जो दिन ढ़लने के साथ ही उसमें एक नया अध्यय स्वतः जुड़ता ही चला जाता है।हमारे देश में वैसे तो कई प्रेत -बाधित हाइवे है; पर यह जो कहानी मैं लेकर आया हूं।एक ऐसे ही हाईवे की कहानी जिससे सूर्यास्त के बाद लोग जाने से भी कतराते हैं। खौफ़ और दहशत से भरी काहानी।
हम सात दोस्त का एक ग्रुप था। जिमसें रोहन सेमवाल, राजू रावत, कमलेश पैन्यूली, रोनी आहूजा, श्याम नारायण, हितेश सोढ़ी, टीनु भटनागर देहरादून के डी. ए. वी. कॉलेज देहरादून से स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे।हम सभी आर्ट्स से स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे और सभी अंतिम वर्ष में थे। सभी दोस्त दोस्त बहुत अच्छे घरानों से ताल्लुकात रखते थे। किसी के पापा मशहूर बिजनेसमैन, तो किसी के प्रधानाचार्य, तो कोई आर्मी अफसर का बेटा, तो किसी के पापा बहुत बड़े ठेकेदार थे।
सभी कॉलेज के कैंटीन मे मिलते हैं। बैक्ग्राउण्ड में कुमार सानू का गाना चल रहा था-
तू पसंद है किसी और का, तुझे चाहता कोई और है।
तू प्यार है किसी और का, तुझे चाहता कोई और है।
तू पसन्द है किसी और की, तुझे मांगता कोई और है।
रोहन- वाह क्या बात है। आज भी कुमार सानू के इस गाने को सुनने में उतना ही मजा आता है।
कमलेश- हाँ तुझे तो आयेगा ही आखिर तू है भी बहुत पुराना है।
कमलेश की बात सुनते ही रोहन को छोडकर सभी हंसने लगते हैं।
हितेश- वास्तव में इस गाने मे वो कसक है कि, वो इंसान भी सुनने को मजबूर हो जाता है जिसकी कोई गर्लफ्रेंड भी नहीं है।
श्याम- ये मुंग और मसूर कि दाल। बड़ा आया गर्लफ्रेंड बनाने वाला।
श्याम कि बातें सुनते ही सभी एक बार फिर से हंसने को विवश हो जाते हैं। थोड़ी देर बाद जब हंसी का क्रम टूटा तो कमलेश बोला- “अच्छा ये सब छोड़ो, ये तो बताओ राजू और टिनू ने हमे यहाँ क्यो बुलाया है?
श्याम- अब इसका जवाब तो राजू और टिनू ही देंगे। उन दोनों का इंतजार तो हमलोग भी कर रहे हैं।
कमलेश- लेकिन ये राजू का बच्चा है कहाँ? ये हमेशा लेट लतीफ ही रहता है।अपनी आदत से आज भी बाज नहीं आया। ढाई बजे कैंटीन मे मिलने को कहा था और ये देखो पौने तीन हो चले हैं।
कमलेश अपनी बाईं कलाई पर बंधी फास्टट्रैक कि घड़ी में टाइम दिखाते हुए बोला था। कमलेश इस शहर के जाने माने बिजनेसमैन मधुसूदन प्रसाद पैन्यूली का बेटा है। इसकी अपनी ब्रांडेड चीज दिखने कि एक बहुत बुरी लत थी और इसे जब भी मौका मिलता उसे भुना लेता था।
रोहन- अरे पता है तेरे पापा बहुत बड़े बिजनेसमैन हैं और तूने महंगी घड़ी पहनी हुई है, लेकिन पता है मेरी ये डेढ़ सौ वाली सोनाटा घड़ी भी वही समय दर्शाती है।
रोहन कि इस तरह टांग खींचने की वजह से कमलेश इस बार चिढ़ गया और वह उससे बोला, हद है यार तू भी। काम की बातें करो तो तुझे उसमे भी मज़ाक ही सूझता है।
श्याम- “मुझे तो लगता है कहीं वो फिर उस भारती के चक्कर मे होगा। देखना जब उसकी क्लास 3 बजे खत्म होगी तभी आयेगा।
हाँ बेटा, मैं अभी भी भारती के क्लास में उसी के साथ बैठा हूँ और कुछ....।, यह कहते हुए राजू रावत बाकी दोस्तों को देखते हुए श्याम के कन्धे को दबाता है। अचानक राजू के इस तरह से आ जाने पर श्याम घबरा जाता है और घबराते हुए बोलता है- “तो जनाब इतना वक़्त कहाँ लगा दिया बताओ?
राजू- अरे यार मैं जैसे ही कैंटीन की तरफ आ रहा था की रास्ते मे वो देवेन्द्र प्रसाद सर मिल गए थे और मेरी पढ़ाई कैसी चल रही है उसी का जायजा लेने लग गए थे।
साले सौ काले कौवे मारे होंगे तब जाकर तेरा जन्म हुआ होगा।”टिनू ने राजू की बात सुन ली थी और उस पर कटाक्ष करता हुआ बोला- “ये क्या बदतमीजी है। तू जो कहना चाहता है वो साफ साफ क्यों नहीं कहता।” राजू ने इस बार खीझकर टिनू को जवाब दिया था। यह सुनकर टिनू अन्य साथियों की तरफ देखते हुए बोला, “दोस्तों बात यह है कि ये जनाब भारती को अपनी इक्नोमिक्स के नोट्स दे कर इम्प्रेस कर रहे थे।
टिनू कि बात सुनते इस बार कमलेश बिल्कुल सकपका कर रह गया और राजू के पास जा कर उसके कन्धे से घूमाते हुए बोला- “वाह भाई वाह तेरे जैसे दोस्त हों तो दुश्मनों कि क्या ज़रूरत। मैने कल इस से इक्नोमिक्स के नोट्स मांगे तो जनाब कहने लगें कि बनाई ही नहीं है और यहाँ मजनू ने तो....। कमलेश की बात सुनते ही टिनू इस बार फिर बीच मे बोल पड़ा- अरे उसे कुछ मत कहो, वो कल उसने बिल्कुल सही कहा था। कल जब तूने इस से नोट्स मांगे तो सच मे इसने नहीं बनाए थे। इस मजनू ने कल पूरी रात जागकर भारती भाभी के लिए नोट्स बनाए हैं।
राजू की दीवानगी की इस पराकाष्ठा को देखते हुए सभी दाँत फाड़ के हंस पड़े थे। जब हंसी का माहौल शांत हुआ तो कमलेश बोला- “अच्छा अब छोड़ो भी बेचारे को और बताओ तुम दोनों ने किस काम के लिए यहाँ बुलाया है?
टिनू- देखो बात यह है की कल 31स्ट दिसम्बर है बोले तो इस साल की आखिरी रात। मेरे और राजू के घर वाले 2 दिन क लिए गाँव जा रहे हैं ;वहाँ किसी रिश्तेदार की शादी है।
टिनू के इतना बोलते ही अब राजू उसकी बात को आगे बढ़ते हुए बोला- “तो बात यह है की नैनीताल मे एक नया फाइव स्टार होटल खुला है;जिसका नाम पैसिफिक होटल है। इस वर्ष वहाँ एक साथ सभी जश्न मनाने चलते हैं।
मजे की बात यह है कि मैने और राजू ने वहाँ सात पास कि व्यावस्था कर ली है। बस तुम लोगो कि हामी भरने कि देरी है। टिनू ने बाकी बचे प्लान को अमलीजामा पहनते हुए कहा था।
पहले तो सबने एक साथ हामी भरी फिर कमलेश और रोहन ने एक साथ कहा, अबे पहले नही बता सकते थे,हम तो हर साल पर 31 दिसम्बर को अपने परिवार के साथ घुमने जाते हैं।" तुम्हे पहले बताना चाहिए था न फिर हम अपना प्लान कैंसिल करके साथ में चलतें।
"तो अभी कौन सा देर हो गयी सालें" राजू कमलेश तरफ देखकर बोला।
कमलेश- यार,इस बार पापा मना कर रहे थें, मैने ही उनको रानीखेत घुमने के लिए मनाया और पापा मान भी गये।
राजू- "मैने भी पिछले महीने ही मसूरी जाने का प्लान बनाया था।"
टीनू- "यही दोस्ती ,यही प्यार ...। अबे जब तुम्हारी फटती है तो पहले ही माना कर दिया करो फट्टू।"
कमलेश - "फट्टू किसको बोला बे ,याद है ना उस रात... ।"
टीनू -"सॉरी भाई सॉरी जलें पर नमक छिड़कने लगता है ज़रा सी बात पर।"
राजू - "हमसे क्या छुपाकर रखा है कमलेश।"
छोड़ यार वक्त आने पर बता दूंगा । कहकर कमलेश सोचनें की मुद्रा में आ गया।
रोहन- "मिल गया जुगाड़, कमलेश तू सबके घर पर कॉल कर और कह दें कि नये साल पर डी.ए.वी काॅलेज की तरफ से सेमिनार में जाना है नैनीताल।"
कमलेश- "आईडिया बेस्ट है पर मैं किस टीचर का नाम लूंगा ।
श्याम- "अबे छोटें-मोटे क्यों डायरेक्ट प्रोफेसर की नकल कर लेना देखना घर में कोई मना नही कर पायेगा।"
रोहन - "अबे देव सर की आव़ज निकालकर बात करना। उनका तो नाम ही काफी है।
श्याम- “लेकिन हमारे घर कौन बात करेगा।"
श्याम- "जिसनें ये तिकड़म भिड़ाई वो ही करेगा।"
कमलेश एक -एक करके सबके घर फोन करके सेमिनार के बारें में बताता हैं और परमिशन ले लेता है ।
"चल बे अब तु भी बात कर रोहन मेरे घर पर।"
ठीक है बेटा कमलेश। सारे दोस्त एकसाथ हंसने लगते है क्योंकि वो हूबहू देव सर की तरह मिमक्री करते हुए बोला था।
श्याम- “आज शाम को सब बैग पैक करके तैयार रहना। ध्यान रहे वहां के लिए आज शाम को ही निकलना है।
ठीक है समय से चलेंगे। यह कहकर सब अपने-अपने घर चल दिये।
रात को आठ बजे कमलेश, रोनी, श्याम , टीनू , रोहन ,हितेश सोढ़ी आईसबीटी देहरादून पहुंच जाते है और वे सब देखते है , राजू उनका इंतजार कर रहा था।
टीनू - "वो देखों अपना कौआ अपने मैना से बात कर रहा है सामनें।" आज देखों कितना जल्दी आ गया और आ भी गया तो भी देख लड़की से बात कर रहा है। इसे तो कोई फिक्र ही नही है हमारी।
रोनी अवाज मारकर राजू को बुला लेता है फिर सब दोस्त राजू के द्वारा बुक की गयी गाड़ी में बैठ गये और गाड़ी चल पड़ी ।
कमलेश - "वैसे हमे नैनीताल जानें में कितना वक़्त लग जाता है।"
राजू- "अरे गाड़ी तो स्टार्ट होने दे अभी, वैसे वहाँ पहुंचने में 7 घण्टें लगते है। वो नयी ब्रांच नैनीताल से 15 किलोमीटर आगे है भीमताल में।"
श्याम- "गाड़ी रुकवा देना आगे किसी ढ़ाबे पर, पेट पूजा भी करनी है। सुबह से कुछ खाया भी नहीं है।"
कमलेश- "अबे अभी तो बमुश्किल एक घंटा चले है हम और तुझे भूख भी लग गई। तेरा पेट है या कुंआ।“
श्याम- "कुछ भी बोल ले कमलेश पर मेरे मासूम पेट को कुछ मत बोल।"
राजू और उसके सब दोस्त गाडी़ में बैठकर आराम से मस्ती करते हुये नेशनल हाईवे 41 पर पहुँच जाते है और श्याम के कहने पर आगे वे एक गढ़वाल भोजनालय पर खाना खाते है और साथ में टोनी गाड़ी से किंगफिशर बीयर की बोतल भी लाकर रख लेता है। सब दोस्त थोड़ी-थोड़ी बीयर पी लेते है और कमलेश खाने का बिल देने जाता है।
कमलेश- " यहाँ से भीमताल कितनी दूर है भाई?"
मंयक भट्ट जो कि भोजनालय का मालिक कहता है।वो कहता है “यहां से तो अभी काफी दूर है। इतनी जल्दी नही पहुँचोगें। हां पर अगर तुमको जल्दी जाना है तो थोड़ा आगे से शाॅर्टकट रास्ता है।जो मुख्य हाईवे के बगल से जाता है और आगे जाकर सीधे भीमताल की रोड़ पर जुड़ जाता है, वहाँ से भीमताल जल्दी पहुंचोगे।“
सारे दोस्त एक साथ हंसते - गाते निकल जाते है और आगे चलकर कमलेश वही साईड वाली सड़क से चलने को कहता है तो ड्राइवर गाडी़ उधर ही घुमा लेता है। कुछ आगे चलकर वे सब गाड़ी से उतरकर बीयर पीने लगते हैं। जहाँ वे बीयर पी रहे थे ,वहां एक बोर्ड था जिस पर भीमताल तक की दूरी 5 किलोमीटर लिखी थी ,वह सब फिर गाडी़ में बैठ गये और वह लगातार आधा घंटा चले तो फिर वही बोर्ड दिखा। जिस पर लिखा था, भीमताल 1किलोमीटर पहले उन्होने ध्यान नही दिया। लेकिन जब से उस जगह से वो लोग उस ढाबे से आगे निकले थे बार-बार वहीं, उसी जगह आ रहे थे। जब यह बात सभी को पता ताकि कि वो लोग जहां से चले थे घूमफिर कर वो सब वहीं आ जा रहे तो सभी के सभी चकरा गए। गाड़ी भी वहीं आकर बार-बार रुक रही थी और कुछ ही घंटो तक ऐसा लगातार होने के बाद वह गाड़ी वहीं वीराने में लास्ट में खर्र-खर्र की आवाज करती हुई बन्द पड़ गई।
राजू नीचे उतरा और गाड़ी की जांच करने लगा। उसनें बोनट खोला तो उसको ऐसी कोई वजह नहीं दिखी जिसकी वजह से गाड़ी को बंद होना पड़े। तभी उसने उसने अपनी आदत से मजबूर इस स्थिति में भी मजाक करने की सुझी तो वह सबसे नजर बचाता हुआ एक पत्थर के पीछे छुप गया।
अचानक टीनु की नजर ने राजू को भी खोजा तो राजू वहाँ पर मौजूद नही था। उसने राजू को आवाज दी तो कोई जवाब नहीं आया। उसकी अवाज सुनकर बाकि के दोस्त भी गाड़ी ने नीचे उतर गये। वे सभी राजू को ढूंढने लगे। काफी देर तक जब कोई जबाव नही आया तो सारे दोस्त डर गये।
तभी राजू सावधानी से आता है और एकदम तेज आवाज निकलकर कमलेश को डरा देता है क्योकि वो पत्थर के सबसे नजदीक होता है। सभी राजू की तरफ घुम जाते है।
कमलेश- "तू पागल-वागल है क्या? ऐसा कौन करता है? मेरा तो दिल, गुर्दा, फेफड़ा सब बाहार आ गया था। अभी तो मेरी शादी भी नही हुई है।"
राजू- “बहुत फट्टू -फट्टू कर रहा था न मेरे दोस्त को।"
रोनी- “वाह बेटा राजू! क्या छक्का मारा है, सीधे स्टेडियम से बाहर।"
यह सुनते सब एक साथ हंसने लगते हैं। लेकिन उनमें से किसी को भी खबर नहीं थी।अनजाने में ही सही लेकिन एक बहुत बड़ी मुसीबत को निमंत्रण दे चुके हैं। उनकी खुशियों को एक शैतानी रुह़ की नज़र लग चुकी है।
रोहन - "चलों पैदल चलते है, अब तो बस 5 किलोमीटर ही रह गया है। पहाड़ों पर ट्रैकिग का मजा लेते है। सड़कें सर्पीली और बेहद घुमावदार थीं। सभी अपना बैग निकालकर उस होटल की तरफ पैदल ही चल पड़ते है।कुछ दूरी तक वो खामोश बढ़ते रहते हैं। चलते-चलते रोहन ने कहा, "मैं अभी गुगल मैप पर लोकेशन चेक करता हूं।
रोहन ने अपना मोबाइल निकाला और देखा और गुस्से मे कहा -"अरे यार! यहाँ तो नेटवर्क ही नही है। क्या करें?” रोनी, "किसी के फोन पर पर सिग्नल आ रहे है क्या? ओह्ह! यहां से होटल कैसे जायेंगे?” सभी दोस्तों ने अपने-अपने मोबाइल चैक कियें। तो किसी के भी मोबाईल में सिग्नलस नही थे। कमलेश राजू की तरफ गुस्से से देखते हुए बोलता है-
"अबे मैने थोड़ी कहा था इधर मुड़ने के लिए तुम ही हीरों बन रहे थे। चलों धीरे धीरे आगे बढ़ते रहते हैं। पास में ही ज़रूर कोई छोटा -मोटा होटल मिल ही जाऐगा।“
"अरे भाई अब आगे एक कदम भी आगे बढ़ना मेरा बस की बात नहीं है। अब पैदल चलकर थक गया हूँ।”श्याम ने कहा ।
रोनी, “ठीक है! थोड़ा आराम कर लेते हैं, थोड़ा सुस्ताने के बाद फिर आगे बढ़ेंगे।“
लगातार पैदल चलने की वजह से अब सभी थक चुके थे और रात के 3 बज चुके थे। वो लोग वास्तव में बुरी तरह से थक चुके थे। आराम करने केई मंशा से वो सभी वहीं सड़क के किनारे बैठे ही थे कि थकान की वजह से वह सब थककर वहीं सड़क के किनारे सुस्ताने के लिए बैठे ही थे कि थोड़ी देर में ही उनकी आंखे भारी होने लगी और वो सभी नींद के आगोश में समा गए।
रात के किसी पल अचानक सबसे पहले टोनी की नींद टुटी तो उसने देखा कि उसका कोई भी दोस्त वहां नही है। उन सभी का सारा सामान वही पड़ा है। उसने अवाज दी तो कोई भी जबाव नहीं आया। अचानक जंगल से रोने की आवाज आने लगी तो वह उस आवाज का पीछा करते हुए उसी ओर गया। वह उस आवाज़ को बेहद सावधानी से भांपते हुए सहमे सहमे कदम से बढ़ चला। उसने देखा ; सफेद कपडे पहनें हुए आदमी और छोटी काली बिल्ली को। जिसे वो आदमी अपने हाथों में थामे खड़ा था।
म्याऊँ...म्याऊँ की आवाज करती हुई वह बिल्ली टोनी की तरफ देखते हुए गुर्राने लगी। थोड़ी देर में ही जब टोनी और करीब आया तो वह महसूस करता है कि वह आदमी रो रहा था। टोनी को थोड़ा सा अजीब लग लेकिन उसने हिम्मत को एकजुट करते हुए उसने अपने हाथ उस इंसान के कंधे पर रखा। अगले ही पल वह इंसान जोर से चिल्लाने लगा अपनी बिल्ली को पकड़ने के लिए उसके पीछे भाग पड़ा।
उसने उस घटना की तरफ से ध्यान हटाते हुए अपने दोस्तों को ढूंढने में लग गया। उसके कुछ दोस्त उसे ढूंढते-ढूंढते उसके पास पहुंच गए। रोहन और टोनी भटनागर का अभी भी कुछ पता नहीं लग पा रहा था। उनको बहुत ढुंढा पर वो लोग कहीं नही मिले। उनलोगों ने निश्चय किया कि उन्हें इस गाड़ी की तरफ चलना चाहिए सबयड वो लोग उन्हें खोजते हुए उधर चले गए। वो लोग गाडी़ की तरफ बेतहाशा भागने लगे। थोड़ी देर में जब वो गाड़ी के निकट पहुंचे तो उनके होश उड़ गए जब उन्होंने देखा कि वहाँ उनकी गाड़ी ही नही थी। उनको समझते देर न लगी कि अब वह किसी बड़े मुसीबत में पड़ चुके हैं। वह जान बचाने के लिए वापस हाईवे की तरफ भागे तो रास्ते में एक लग्जरी रैस्टोरेंट दिख गया।
वहाँ रिसेप्शन के पास दो लोग बहुत पुराने कपड़े पहनकर बैठे थे। उनके चेहरें पर झुर्रियां ने अपनी जगह बना ली थी ।
कमलेश- "सर हमें बचा लिजिए! हमारे पीछे कुछ लगा हुआ है जिसनें हमारे एक दोस्त को मार दिया।"
वह अंजान शख्स- “मैं तुम्हें एक कमरा देता हूँ और मैं एक घोस्ट स्पेशलिस्ट हूँ। मैं यहाँ खुद अपनी रिसर्च पूरी करने के लिए ही आया हूँ।“
वह अनजान शख्स- “मेंरे पास एक ओर्ईजा बोर्ड है। क्या तुम खेलना पसंद करोगे। ऐसा माना जाता है कि ओईजा बोर्ड से कोई भी शैतानी शाक्ति से सम्पर्क स्थापित कर सकते हो। तुम जो चाहों कर सकते हो, बस शर्त है कि तुम्हे इस खेल के बीच से उठकर नही भागना है वर्ना सबकी जान जा सकती है।“
कमलेश- “ठीक है।"
रोनी,कमलेश,श्याम और राजू उसे खेलने के लिए तैयार हो जाते हैं। वे चारों मोमबत्ती को बोर्ड के बीच में रखते हैं और चारों कोनों पर बैठ जाते है। वे भूत को बुलाते है पर कोई हलचल नही होती। अचानक कमरे का बल्ब टिमटिमाने लगता है और वो सारे दोस्त डर जाते है। होटल का दरवाज़े और खिड़की हिलने लगते है। एकाएक दरवाजा खुलता है पर उससे कोई अंदर या बाहर नही आता। बस ची...ची ... की आवज से बंद हो जाता है।
एकाएक वह चारों कमरे से गायब हो जाते है और बाकि सब मृत हो जाते है और जगह -जगह खुन के धब्बे पड़ जाते है। वह रेस्ट्रां का मालिक हंसते हुए कहता है, “मैने तो पहले ही कहा था।“
सुबह जब उनकी नींद खुलती है तो वो स्वयं को एक खंण्डर में पाते है। सभी दोस्त एक - दूसरे को देखकर खुश हो जाते है।
रोनी- “बड़ा भंयकर सपना देखा यार।“
कमलेश- “क्या तूमने भी वही सपना देखा?”
रोनी- “हां ,यार पर बड़ा अजीब था। चलो अब पैसिफिक होटल।“
तभी साईड में कमलेश की नज़र पड़ती है तो वो सबको ऊँगली से इशारा करते हुए कहता है, अरे! ज़रा वो देखो वहाँ पर।"
सारे दोस्त उस तरफ मुंह कर लेते है, तो सामने वही ओईजा बोर्ड पड़ा मिलता है। थोड़ी देर में उनका ड्राइवर भी आ जाता है और वहाँ से वो सीधे पैसिफिक होटल पहुँच जाते है। कमलेश को रात का सपना अजीब लगता है और वो एक पैरानर्मल स्पेशलिस्ट के पास जाता है।
कमलेश अपने सब दोस्तों को भीमतल के एक पैरानर्मल एक्सपर्ट के पास ले जाता है और एक्सपर्ट को सब कुछ बता दिया। पर एक्सपर्ट सोचता है बच्चे है मजाक कर रहे है। तो उन्होने उनकों हिपनोटाईज (वशीकरण) करके उनसे कुछ सवाल पूछा- “बताओ तुम वहां कब गये थे?”
कमलेश- "हम सब कल रात अपने दोस्तों के साथ पैसेफिक होटल के लिए निकले थे।"
अभिमन्यु – “किस काम से?”
कमलेश- “31फास्ट की पार्टी मनाने और घुमने के लिए।"
अभिमन्यु – “तुमने वहां क्या देखा ,जहां तुम रुके थे?”
कमलेश - "एक काला साया ,जो हॉईवे पर सबका शिकार करता है, उसने हमे ओईजा बोर्ड भी दिया था खेलने को।"
अभिमन्यु – “पर तुम उससे कैसे बच गये?”
रोहन - "क्योकि हम सपनें में थे और वह सपनों पर ही कब्जा करता है।"
अब रोहन सामान्य हो गया। बाकि बचे सभी साथियों से भी यही पुछा गया ,तो उन्होंने भी यही सब बताया।
कमलेश- “सर ,क्या यह सिर्फ सपना है या हकीकत?”
अभिमन्यु- “यह सच है तुम्हे पुर्वाभास हुआ ,जिससे तुम सचेंत हो गये।“
कमलेश - "सर हम उस हाईवे को उस रुह़ से कैसे मुक्त करे।"
अभिमन्यु – “इसके लिये तुमकों फिर अपने दोस्तों के साथ सपनें में जाना होगा और उस रुह़ को खत्म करना इतना आसान भी नही है।“
कमलेश- सर क्या आप हमें उस रुह़ के बारे में कुछ बता सकते है?
अभिमन्यु - "हा , एक बार मैं उस हाईवे से गया था पर तब मै पराविज्ञान या भुत -प्रेत पर विश्वास नही करता था, तब एक बार मुझे इसका आहसास हुआ कि हाईवे पर कुछ तो गलत है ,तब मैने मोबाइल पर ऊर्जा के विषय में पढा़ और मै इस विषय पर इतना ही जानता हूं, तुम्हे मेरे सीनियर डा. विकास से इस पर तुंरन्त बात करनी चाहिए।"
कमलेश -"ओके सर ,आप उनका ऐड्रैस दे दीजिये।"
कमलेश -"डा. विकास को फोन करता है।"
डा विकास (फोन पर)- " हैलो ,I m Dr. vikas."
कमलेश - "अपने सपने के बारे में बताता है और उनसे समस्या से बाहार कैसे आयें यें पूछता है?"
डा. विकास -" इसके लिये हमें उस हाईवे पर खोजबीन करनी होगी ,वहीं कुछ साबुत या जानकारी मिलेगी , मै तुरन्त ही अपनी टीम के साथ वहां आ रहा हूँ, तब तक तुम वही अभिमन्यु के पास रहों।"
कमलेश - "ठीक है सर , हम यहीं रुकते है।"
कमलेश अपने सभी दोस्तों व डा. विकास के साथ हाईवे पर गये और उस गुथ्थी को सुलझाने में जुट जाते है।
डा. विकास कुछ जांच रहे थे तभी उनकी नज़र एक हवेली पर गई जो पुरी तरह विरान हो चुकी थी , और हाईवे के किनारे जंगल के नजदीक बनी थी ,देखकर लग रहा था कि हवेली काफी पुरानी थी ...।
विकास अपनें साथियों और रोहन के दोस्तों को बुलाते है और वह उनकों हवेली में चलने को कहते है .वे सभी उस डरवानी हवेली की और देखते है ,तो रोहन को हवेली के छत पर एक काली परछाई दिखती है जो उसे घुर रही होती है ,वो डर जाता है ।डा. विकास और सभी लोग उस हवेली तरफ बढते है ,
एक काला लकडी़ का दरवाजा खुलता है ...और वे सब हवेली के अंन्दर चले जाते है और वे देखते है कि हवेली तो देखनें में एकदम ऐसी लग रही है जैसे कई वर्षों से यहां कोई आया ही न हो, अब रात होने वाली होती है तो वह सभी अपना खाना खाकर सो जाते है । तभी डा. विकास कहते है कि इस हवेली में कोई भी मत सोना नही तो वह शैतानी रुह हमारे सपनों पर कब्जा करके मार डालेगी , धीरे-धीरे रात गुजरती है। वे सब आपस में बात करते हुये बैठ जाते है।तभी बाहर किसी के चीखनें की आवाज सुनाई देती है ,डा़ विकास के साथी बाहार देखने जाते है पर कुछ नही दिखता ,तभी हवेली के छत पर किसी के चलनेंं की आवाज आती है ,इस बार सब डर जाते है पर रोहन के दिमाग में कुछ और ही चल रहा था ,वह सीढियों पर जाता है उसे आवाज सुनाई देती है जैसे कोई उसे बुला रहा हो और वह उस आवाज की और आकर्षित हो जाता है ,पर तभी डा.विकास वहां पहुच जाते है और रोहन को दरवाजा खोलनें से पहले ही रोक लेते है ,तब जाकर रोहन की तंद्रा भंग हुई ।
रोहन- डा. विकास आप यहां क्या कर रहे हो।
डा. विकास- क्या मै तुमसे पुछ सकता हूं कि तुम इस समय इस कमरे के बाहार क्या कर रहे हो ? तुमकों पता है तुम क्या करने वाले थे?
रोहन - नही मै तो आराम से आपकी बात सुन रहा था ,तभी किसी की आवाज आयी और पता नहीं मै यहां कैसे पहुच गया ।
डा. विकास - तुम एक बहुत बडी़ गलती करने जा रहे थे ,तुम एक शैतानी रुह को मुक्त करने जा रहे थे ,वो तो मैने तुमकों इधर आते देखा लिया ...........।
एक शैतानी हंसी ..........ही.......ही ..........कब तक रोकोगे मुझे .........मै तुमकों मार डालुगी।
रोहन डर गया और डा. विकास भी घबराकर अपनी टीम के पास आ गये ।
रोहन- सर आपने वो हंसी सुनी।
डा. विकास - हां वो एक चुडैल की हंसी थी ,पर तुम तो कह रहे थे कि सपनें में बस एक ही रुह दिखी।
रोहन - जी सर ,
डा. विकास - याद करों सही से कहीं हम किसी बडी़ मुसीबत में न हो।
रोहन - सर सपनें में हम सबके सामने एक ही परछाई आयी ,और हा एक हमारे ऊपर से कुछ उड़कर गया था।
डा. विकास - क्या?? इतनी जरुरी बात तुम कैसे भुल गये ? जल्दी यहां से निकलों वरना हम सब गये ,
रोहन - सर पर आप हमारे साथ है तो ,
डा. विकास - हम तो अभी बस सर्वें करने आये थे , ये जगह बहुत खतरनाक है और हम अभी पुरी तरह तैयार नही है।
यह सुनकर वो सब अपनी गाडियों से अभिमन्यु के अॉफिस के लिये निकलते है।
अगले दिन ऑफिस में बैठकर वह बात करते है तो डा.विकास कहते है कि रोहन, उस आत्मा ने सबसे पहले तुमसे सम्पर्क किया ते तुमकों ही सपनों की दुनिया में जाकर उनकों हराना होगा।
रोहन- "सर मै तो बहुत डर गया हूं ,अब नही कर सकता।"
डा.विकास - अगर तुम अपने दोस्तों के बचाना चाहते हो तो तुमकों यह करना ही होगा । तुम अपने दिल से डर निकाल लो ,बस तुमको ही करना होगा।
रोहन - "ठीक है सर।"
डा. विकास - हमकों आज शाम फिर वहीं जीना होगा उस भुतिया खंडर में ।
रोहन- "सर हम यहां से नही जा सकते क्या?"
डा. विकास- "नही हमकों वही जाकर यह करना होगा ,तभी वह आत्मा तुमसे जुड़ पायेगी ,और तुमकों हमारे दोस्त से बात करनी पडे़गी "वो एक डा. है और साथ में एक गोस्ट हांटरहै। उनका नाम है डा.वासु ,मैने उनकों बुला लिया है।
रोहन- ओके सर।
तभी डा. वासु वहां आ जाते है
हैलो मिस्टर विकास।
आईये डा.वासु कैसे हो आप।
डा. वासु -बस दुआ है आपकी।
डा. विकास - सर ये रोहन है और उसके साथ सब अभी तक जो हुआ सब कुछ बता दिया ।
डा. वासु - यह सच है मै भी उस सपनें में जा चुका हूं पर कुछ कर नही पाया ,शायद यह तुम्हारे हाथों से होना था ,मै तुम्हारी हर तरह से मदद और रक्षा करुंगा ,पर सपने में तुम्हे स्वंय जाना होगा।
रोहन - ठीक है सर।
डा. वासु - ये लो यह रुद्राक्ष पहन लो यह त्रिमुखी रुद्राक्ष है यह अग्नि का प्रतीक है ,यह त्रिशाक्ति ,त्रिदेव, के रुप में हमेशा तुम्हारी रक्षा करेगा , जैसा इसका नाम है वैसा ही काम है ,यह हर बडी़ नकारात्मक शाक्ति को जलाकर नष्ट करने की क्षमता रखता है ,यह सबसे शाक्तिशाली रुद्राक्ष है।
अब सब फिर एक बार उस भुतिया हाईवे पर जाते है और आगे पैदल उस भुतिया हवेली में प्रवेश करते है और पुरी तैयारी के साथ डा.वासु बिल्कुल अलग नज़र आ रहे है ,एक पीली धोती एक नंरगी कुर्ता ,रुद्राक्ष की माला गले में और हाथ में एक गंगाजल का कैन। अब कमरे के बीच रोहन को लिटाया और डा. वासु कुछ मंत्र पढ रहे है और बीच -बीच में गंगाजल के छींटे मारते है और तभी रोहन को नींद आ जाती है ,रोहन सपनों की दुनिया में जा चुका है ,
सपनें में रोहन अकेला है उसी कमरें मे और एक सीन चल रहा है उसकी आंखों के सामने ,एक पति -पत्नी उस कमरे में है और अगले ही पल वह हाइवे पर था ,कुछ लुटेरे दो पति-पत्नी को लुट रहे थे और उन्होने हाईवे पर उनकों बांधक बनाकर मार दिया और उस हवेली के बाहार दबा दिया । और अचानक रोहन को लगा कि कोई उसके पीछे से गुजरा ,वह एक आत्मा थी जो रोहन को घुर रही थी पर कुछ कर नही पा रही थी ,और अगले ही छण एक और चुडैल वहां पर आयी और रोहन को सुंधने लगी, रोहन को डर था पर वह आत्मा भी डर रही थी रुद्राक्ष से । पर तभी आसपास की चीजें हवा में थी और रोहन पर वह सब टकराने लगी रोहन गिर गया ,रोहन जैसे ही उठा उसे लगा कि उसके गले में कोई सांप है और उसनें सपनें में उस रुद्राक्ष को फेंक दिया और तभी चुडै़ल हसनें लगी और तुरन्त एक जोरदार वार हुआ रोहन पर ,रोहन का शरीर नींद में हिलनें लगा और डा.वासु समझ गये कि चुडै़ल ने इसके साथ छलावा किया ,वो रोहन को पुरी तरह जख्मी कर चुकी थी ,बस सांसे बची थी।डा.वासु को यह आशा न थी पर उन्होने भी समझदारी दिखाई और अपनी माला रोहन के हाथ में पकडा़ दी ,उधर सपने में वो माला उस तक पहुच गयी और दोनों आत्माओं का सफाया रोहन ने कर दिया और तीन मुखी रुद्रक्ष को ढुढकर उसे सपनें में हवेली के बाहार रख दिया जिससे अग्नि रुद्रक्ष के सम्पर्क में आते ही वह दोनों रुह प्रेत योनि से मुक्त हो गये ,डा. विकास और डा.वासु की मित्रता भी बढ़ गयी ,रोहन और उसके दोस्त अब दिन के समय अपनें होटल पर गये और खुब मस्ती की उस दिन से फिर कभी हाईवे पर कोई मौत न हुई और रोहन ने कभी रात को हाईवे का सफर नही किया और इस तरह वो सात दोस्त नये साल पर आत्माओं को मुक्ति दिला देते है
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Very nice
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