एडंकिचन- ओह! तभी परसों मुझे कैंप से निकलतें समय एक धक्का लगा जिससें मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं लुढ़ककर बुरी तरह घायल हो गया और तभी से वह सिक्का कहीं गायब हो गया। मैंने बहुत खोजा पर वह कहीं नही मिला। तो फिर, अब वह सिक्का कहाँ है? चंद्रचूड़ ने चिल्लाते हुए कहा। एडंकिचन- पता नही,हमनें बहुत खोज की पर वह कहीं-नही मिला। चंद्रचूड़- क्या! ऐसें कैसे, तुम नही जानतें वह अब कितना खतरनाक हो जायेगा। अब उसमें एक साथ कई अतृप्त आत्माओं का वास हो जायेगा और अगर ऐसा हो गया तो कोई भी कुछ नही कर पायेगा, हमें यह सब रोकना होगा। एडंकिचन- इसे कैसें रोक सकतें है चंद्रचूड़? चंद्रचूड़- इसके लिए हमें वह सिक्का ढूँढना होगा और फिर से मंत्रों से अभिमंत्रित करके वापिस रखना होगा। एडंकिचन- चलों फिर तो हमें उसे शीघ्र ढूढ़ना होगा। चंद्रचूड़- अगर वह सिक्का तुम्हारे पास नही तो कहीँ ऐसा तो नही किसी ने चुरा लिया हो। एडंकिचन- नही, पर हो सकता है परसों जो टुकड़ी रहस्यमयी घाटी की खोज करनें गयी थी। शायद उनमें से को...