
अगली सुबह,
जाॅन अपनें साथियों के साथ मेंजर के पास जानें वाला है। इससे पहले वह एडंकिचन के कैंप में जाता है ताकि वह उसके साथ घटी घटना का पता लगा सकें।
जाॅन, एडंकिचन से- हैलों मि.एडंकिचन, अब कैसी तबियत है आपकी?
एडंकिचन, जाॅन से- अब थोड़ा आराम है पर जो भी हुआ वह ठीक नही हुआ। मैं तो आराम से वो सोनें का सिक्का मेंजर से मांगकर कैंप की तरफ वापस आ रहा था। परन्तु तभी अचानक पीछे से मुझे एक जोरदार धक्का लगा और मेरा संतुलन खो गया जिससें मैं गिर पड़ा पर जब तक मैं मुड़कर देखता उससें पहलें ही मैं अचेत हो गया।
पर इतनी रात को केवल सिपाही ही कैम्प से बाहर रहतें है।
मैने अभी सुना कि तुम अब उस रहस्यमयी घाटी की खोज करने जा रहें हो। अच्छा है वैसे भी एक इतिहासकार को इससे अच्छा क्या मौका चाहिए?
जी सर, परन्तु आप तो अपनी जगह है। अब एक प्रसिद्ध पर्वतारोही है आपके साथ मैंने कई जगह पहाडों की चढाई की है; पर लगा नही था इस बार मुझे एक अहम मोर्चे पर आपकें बिना जाना पडेगा।
कोई नही मि.जाॅन, यह वक्त तुम्हारा है और पहाडों की घाटियां तुम्हारा इंतजार कर रही है।
ओके एडंकिचन सर, मैं अब चलता हूँ।
जाॅन इस तरह कह कर चला गया। परन्तु एडंकिचन कुछ गहरी सोच में पड़ जाता है। उसे लगता है कि शायद जाॅन ने ऐसा किया होगा। क्योंकि आज तक कभी ऐसा नही हुआ। एडंकिचन की खासियत थी कि वह जिस मिशन पर जाता था वह उसें सफल करके ही लौट आता था। परन्तु अचानक उसे याद आया, मेजर adms का वह कथन जिसमें उन्होंने उसे एक शापित सिक्का बताया था। फिर भी एडंकिचन पुष्टि के लिए दोबारा सिक्कें को एडंकिचन अपनी जेब में खोजता है पर वह सिक्का उसे नही मिलता। इसलिए वह चिंतित हो जाता है उसके माथें पर चिंता की लकीरें स्पष्ट हो जाती है।
दूसरी तरफ जाॅन अपनें सात साथियों को साथ लेकर मेजर के कैंप में जाता है।
जाॅन, major adms से- मैं अपनें सभी साथियों को लेकर आया हूँ।
उसके साथी कुछ इस प्रकार है-
वाॅटसन और स्टीफन दोनों पर्वतारोही है जिन्हें हिमालय के विषय में काफी नाॅलेज है इसलिए वह एडंकिचन सर की जगह लेंगे। एक डाक्टर sis जो हमारे स्वास्थ्य का ध्यान रखेंगे। शेष चार मल्टीटैलेन्टेड भूतपूर्व सैनिक है। जिनमें दो को पुरातात्विक खोजों मे विशेष रूचि है।
ok,that's good. परन्तु तुम्हें सम्भल कर जाना होगा। जिस घाटी को हम खोज रहें है वह नदी के तट पर बसी नदी घाटी मानवीय सभ्यता के अवशेष मिलने के पूरें चांस है।
जठीक है सर। अब हम उस घाटी को हर हाल में खोजकर ही वापस लौटेगें। अब हम चलतें है उस घाटी की ओर...।
जाॅन, अपने चुनिंदा साथियों के साथ ब्रिटिश कैंप से निकलकार घाटी की खोज में निकल पड़ता है।
एडंकिचन को जब वह सिक्का अपनें कपडों मे और कैंप में नही मिलता तो वह चिंतित हो जाता है और अपनें कुछ सैनिकों को सिक्कें की खोज में लगा देता है पर जब सिक्का कहीं नहीं मिलता तो एडंकिचन अपनें मेंजर से उस गाँव का पता पुछकर निकल पड़ता है...। उस रहस्यमयी सिक्कें की तलाश में.....।
जाॅन अपने साथियों के साथ पहाडों की ओर निकल गया। वाटसन और जाॅन साथ-साथ चलतें हुए खोजी-दल का प्रतिनिधित्व कर रहे थे। उनके पीछे डा० sis और बाकि साथी चल रहे थे। उन्हें अपने प्रमुख कैम्प से निकले हुए काफी समय हो गया था। वह लगातार चलते जा रहें थें। इसलिए वह थक गये और उनका शरीर पसीनें से तर हो गया था इसलिए जाॅन ने उनकों कुछ-देर आराम करनें के लिए एक उपयुक्त स्थान बताया। यह एक दिलचस्प बात है कि अंग्रेज भारत के नदी-नालों का पानी नही पीतें थें। ब्लाकि वह अपना खाना-पानी साथ लेकर चलते थें।
यह तो बहुत बढ़िया जगह है, पेड़-पौधे, हरियाली के साथ चारों तरफ से चिडियों का शोर मुझे बहुत आकर्षित करता है, मैं बहुत खुश! हूँ।
(वाॅटसन की बातों को सुनकर) तुम सही हो। यह जगह बहुत बढ़िया है। वैसें यह क्षेत्र बिट्रिश गढ़वाल में आता है। जो कि 'गढ़वाल नरेश' से कुछ वर्षों पहलें अंग्रेजों ने युद्ध हर्जानें के बदले छीन लिया था। बात 17 वीं सदी के कुछ अंतिम दशकों व 18 वीं शुरूआती दौर की है तब भारत के उत्तर हिस्सें पर डोड़ी (नेपाल) के राजा ने आक्रमण किया। इस युद्ध में हिमालय के मानसखण्ड जिसका नाम कुमाऊ है। इस पर गोरखाओं ने बड़ी वीरता से आक्रमण करके विजित कर लिया था। वह यहाँ से असंख्य सोना-चाँदी लुटकर ले जाते थें।
ठीक ऐसा ही आक्रमण गढ़वाल पर भी होता परन्तु इससे पहले नेपाल की राजशाही में किसी राजनैतिक कारण से टिहरी नरेश की सहायता ली थी। अंत उनकें बीच संधि हुई। परन्तु एक विशाल भुकम्प जब बदरीनाथ क्षेत्र में आया तो इसका प्रभाव पूरे उत्तर भारत पर पड़ा। यही भुकम्प गढ़वाल इतिहास का सबसे तेज था जो 1804 में आया। इस समय राजशाही को बहुत जन-धन की हानि हुई। इस बात का लाभ लेकर गोरखाओं ने गढ़वाल पर हमला कर दिया और जो शेष धन बचा था वह भी लुट-कर चले गये। कुछ साल गोरखाओं ने गढ़वाल पर शासन किया और उन्होंने जनता के साथ क्रुर व्यवहार किया। राजा के पुत्र ने अंग्रेजो से संधि की और इससे अतिरिक्त अंग्रेजों का अपना लाभ भी इसमें निहित था। जब अंग्रेज जीत गयें तो कुमाऊ में कमिश्नरी बनायी और इसी समय अंग्रेजो का पहाडों की रानी मसूरी में आगमन हुआ। उन्हें मसूरी सबसे अच्छी लगी। गढ़वाल राजशाही के पास युद्ध खर्च न होने के कारण उन्हें गढ़वाल का एक बड़ा हिस्सा और दूनघाटी के क्षेत्र को अंग्रेजी हुकूमत को देना पड़ा। इस प्रकार गढ़वाल के इस बड़े भूखण्ड पर अंग्रेजी हुकूमत का शासन प्रारंभ हुआ और यह बिट्रिश शासन के अधीन होकर इसका नाम-" ब्रिट्रिश गढ़वाल " हुआ।
"चलों इतिहासकार साथ होने का कुछ तो फायदा हुआ।" यह कहकर वाॅटसन चुप हो गया।
थोड़ी देर आराम करके उनकें दल ने फिर से चलना शुरू किया और वह नदी घाटी को खोजनें के लिए पहाड़ी क्षेत्रों का गौर से निरीक्षण करतें हुए आगें बढ़ रहे थें। शुरुआत में उन्हें कुछ गाँव मिलें जो पहाड़ों की तलहटी में बसें थें।
तलहटी में बसें गाँव के लोग बड़े गरीब थें। ग्रामीण क्षेत्र में रहने वालें लोगों का पूरा जीवन कृषि कार्यों पर ही निर्भर रहता हैं और पहाड़ी क्षेत्रों में कृषि की हालत बहुत ही खस्ता है। अंग्रेज सुबह से शाम तक चलतें हुए थक गयें थे और सूरज भी ढ़लनें लगा था इसलिए वें जिस गाँव में पहुंचें; उन्होंने वहीं गाँव से हटकर जंगल की ओर अपनें तम्बू लगाये।
शाम ढ़लनें के साथ सूरज की रोशनी हरे-भरे पहाडों के पीछें छुपनें लगा। कालें बादलों ने आसमान को उसे घेर लिया था सूरज की रोशनी बस गायब ही होंने वाली थी। तभी अचानक जाॅन की नजर उसकें कैंप के शीर्ष पर पड़ते प्रकाश पर गयी जहाँ सूर्य की रोशनी किसी चीज पर पड़-कर तेज चमक रही थी।
वह दौड़कर कैंप के पास गया और सुक्ष्म दृष्टि से उस प्रकाश को निहारनें लगा। तभी कैंप के शीर्ष से वह वस्तु लुढ़कतें हुए जमीन पर गिर गयी। जाॅन यह देखनें के लिए उसके पास गया, तो उसकी आंखे फट्टी की फट्टी! रह गयी।
वह जोर से चीखा! और दो कदम पीछे हट गया।
जाॅन की चीख सुनकर उसका सहयोगी डा० sis अपनें तम्बू से बाहर आयी और उसकीं आंखे जमीन पर पड़ी चमकदार वस्तु पर पड़ी। तो उसनें उसे तुरंत उठा लिया। धीरे-धीरे उस चीज़ की रोशनी कम होंने लगी और वह सोनें के सिक्कें में बदल गयी। उसनें जाॅन की तरफ देखा तो वह बेहोश पड़ा था।डा० sis ने अपनें साथियों को आवाज लगाई और उनसें पानी मंगवाया और कुछ बूंदे जाॅन के चेहरें पर टपकायी तो उसकें शरीर में हलचल होंने लगी। धीरे-धीरे उसकी तंद्रा भंग हुई और वह उठकर उस चमकती हुई चीज़ को ढूढ़ने लगा।
उसके साथी उसकें स्वाभाव में अचानक आए उस परिवर्तन को समझनें की कोशिश कर रहें थें। तभी डा० sis ने उन्हें वह सिक्का दिखाया। तो जाॅन के आंखों की पुतलियों में संकुचन होंने लगा और आंखों की पुतलियाँ फैलनें लगी, उसकें शरीर में विचित्र सी सिहरन दौड़ने लगी और उसकें हाथों में कंपकपी हुई। तब उसनें कांपते हुए हाथों में उस सोनें के सिक्कें को ले लिया किंतु वह सिक्का उसके कांपते हाथ सें छुटकर नीचें गिर पड़ा।
जाॅन की हालत देखकर उसकें साथी कुछ चिंतित थें परन्तु उन्हें समझ नही आ रहा था कि "आखिर यह सब हुआ क्या?"
डा० sis ने जाॅन से वह सिक्का ले लिया और दल के सदस्यों की मदद से उसें कैंप में ले-जाकर सोनें को कह दिया। ताकि उसें कुछ आराम मिल सकें।
चारों तरफ से अंधकार घिर गया.... जंगल के किनारे सभी सदस्यों के तम्बू के बाहर लकड़ी की मशालें जल उठीं और दो बंदूकधारी सैनिक अपनी सर्विस राईफल लेकर कैंप के चारों तरफ गश्त कर रहें थें। तभी जाॅन वाॅटसन के कैंप में उसके साथ अगलें दिन के कार्यों पर विचार-विमर्श करनें लगा। अचानक वह शाम के समय घटी घटना को बातों-बातों में जाॅन से पूंछने लगा। शायद वह उसकें मन को टटोलना चाहता था ताकि यह पक्का हो सकें कि वह अब स्वास्थ्य हो चुका है और आगें के सफ़र के लिए तैयार है अथवा नही?
शेष जारी ...
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