आप कभी हाईवे से गए है, जो दिन में तो गड़ियों से खचा-खच भरा हुआ और रात में बिल्कुल नीरव और सुनसान एक अलग- सा खौफ लिए होता है। शहर से सुदूरतम लगभग सभी हाईवे ऐसे ही हैं।जहां दिन में भी हाईवे पर हादसे होते रहते है और कई सारे लोग ऑन-द -स्पॉट मर जाते हैं। इस तरह हर सूरज की लालिमा के साथ शुरु होती है। एक डर की कहानी जो दिन ढ़लने के साथ ही उसमें एक नया अध्यय स्वतः जुड़ता ही चला जाता है।हमारे देश में वैसे तो कई प्रेत -बाधित हाइवे है; पर यह जो कहानी मैं लेकर आया हूं।एक ऐसे ही हाईवे की कहानी जिससे सूर्यास्त के बाद लोग जाने से भी कतराते हैं। खौफ़ और दहशत से भरी काहानी। हम सात दोस्त का एक ग्रुप था। जिमसें रोहन सेमवाल, राजू रावत, कमलेश पैन्यूली, रोनी आहूजा, श्याम नारायण, हितेश सोढ़ी, टीनु भटनागर देहरादून के डी. ए. वी. कॉलेज देहरादून से स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे।हम सभी आर्ट्स से स्नातक की पढ़ाई कर रहे थे और सभी अंतिम वर्ष में थे। सभी दोस्त दोस्त बहुत अच्छे घरानों से ताल्लुकात रखते थे। किसी के पापा मशहूर बिजनेसमैन, तो किसी के प्रधानाचार्...
एडंकिचन- ओह! तभी परसों मुझे कैंप से निकलतें समय एक धक्का लगा जिससें मेरा संतुलन बिगड़ गया और मैं लुढ़ककर बुरी तरह घायल हो गया और तभी से वह सिक्का कहीं गायब हो गया। मैंने बहुत खोजा पर वह कहीं नही मिला। तो फिर, अब वह सिक्का कहाँ है? चंद्रचूड़ ने चिल्लाते हुए कहा। एडंकिचन- पता नही,हमनें बहुत खोज की पर वह कहीं-नही मिला। चंद्रचूड़- क्या! ऐसें कैसे, तुम नही जानतें वह अब कितना खतरनाक हो जायेगा। अब उसमें एक साथ कई अतृप्त आत्माओं का वास हो जायेगा और अगर ऐसा हो गया तो कोई भी कुछ नही कर पायेगा, हमें यह सब रोकना होगा। एडंकिचन- इसे कैसें रोक सकतें है चंद्रचूड़? चंद्रचूड़- इसके लिए हमें वह सिक्का ढूँढना होगा और फिर से मंत्रों से अभिमंत्रित करके वापिस रखना होगा। एडंकिचन- चलों फिर तो हमें उसे शीघ्र ढूढ़ना होगा। चंद्रचूड़- अगर वह सिक्का तुम्हारे पास नही तो कहीँ ऐसा तो नही किसी ने चुरा लिया हो। एडंकिचन- नही, पर हो सकता है परसों जो टुकड़ी रहस्यमयी घाटी की खोज करनें गयी थी। शायद उनमें से को...